अक्षर विश्व उज्जैन में प्रकाशित व्यंग्य
दिनांक 19 अप्रैल 2021
सफाई चिंतन चालू है।
हम दुनिया के सबसे महान सफाई पसंद लोग हैं और कोई भी सफाई के मामले में हमारा मुकाबला नहीं कर सकता है। हम किसी तराजू पर तोले नहीं जा सकते हैं क्योंकि हम महान हैं। हम सफाई को लेकर हमेशा सतर्क रहते हैं और एक क्षण भी कचरा या गंदगी सहन नहीं कर सकते हैं।
जैसे ही हमें घर के अंदर कचरे का छोटा सा अंश भी दिखता है, हम तुरंत उसे खिड़की, बाल्कनी, दरवाजा से फेंक कर बाहर का रास्ता दिखा देते हैं। हमारा दावा है कि हमारे घरों और हम पर गंदगी का कोई निशान नहीं मिल सकता है। हम सड़क पर चलते-चलते, गाड़ी-बस में, बाग-बगीचे में या कहीं भी कुछ खा या पी रहे हों और उससे छिलका, कागज, बोतल, प्लास्टिक की थैली जो भी अखाद्य निकलता है। हम उसे उसी समय, उसी जगह फेंक कर स्वंय को तुरंत स्वच्छ कर लेते हैं।
किसी भी कचरे को ढोना हमें कतई मंजूर नहीं है। हम पान-तंबाखू का लुत्फ उठाते समय भी पूरी तरह सावधान रहते हैं। जैसे ही पान-तंबाखू का आनंद पूरा होता है हम पान की पीक का उसी स्थान पर तुरंत विसर्जन कर देते हैं। पीक या किसी भी गंदगी की क्या मजाल है जो हमारे भीतर प्रवेश कर जाए। अब मुंह में पान हो और छींटों से सामने वाले की मुंह, कपड़ों सहित सारे शरीर की शुद्धि हो जाए वो अलग बात है।
स्वच्छता के साथ हमारा शुद्धि का भी विशेष आग्रह इतना भारी है कि मंदिरों और घरों के साथ-साथ हमने दफ्तरों और दुकानों तक में चपलों जूतों का प्रवेश वर्जित कर रखा है। हमसे जितना हो सके करते हैं पर सारी दुनिया का ठेका हमने थोड़ी ले रखा है। हमारी जिम्मेदारी घर, कार, दुकान-दफ्तरों के दरवाजों के भीतर तक सीमित है।
सड़कें, मुहल्ले और सार्वजनिक स्थल सरकार की जिम्मेदारी है। इस मामले में सोचने की बात यह है कि हम लोग सड़कों पर कचरा नहीं फेंकेगे तो सफाई काम में लगे लाखों लोगों को सरकार काम से निकाल देगी और वे बेरोजगार हो जाएंगे। सरकारें भी कमाई के पीछे पड़ी हैं, कचरा उठवाने के बजाए इन लोगों को हम जैसे कचरा फेंकनें वालों से दंड बसूलने के काम में लगा दिया है। इस कारण सफाई हो नहीं पाती है और ठीकरा हम जैसे सफाई पसंद नागरिकों के सिर पर फोड़ा जाता है।
इसी तरह हमारी खिड़की के नीचे टैरेस वाले घर में एक सज्जन ने आते ही टेरेस में बगीचा लगाया और कहा कि सहयोग करें। हमने उसी दिन से कचरे के बजाए फलों-सब्जियों के छिलके और बचा हुआ अन्न फेंक कर पौधों को खाद देना आरंभ कर दिया। हमारे इस सहयोग से सरकार की तरह उन सज्जन ने भी उखड़ कर अपना बगीचा उखाड़ छज्जा डाल दिया। अब जब मिलो ऊपर वालों को कोसते रहते हैं और हम आज तक समझ नहीं पाए कि घर और अपने आप की सफाई रखने में गलत क्या है?
कुशल कुमार
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