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रविवार, 25 अप्रैल 2021

कोराना मतलब फीकी चाय में डुबोया मीठा बिस्किट

  इंदौर समाचार में प्रकाशित व्यंग्य

दिनांक 7 अप्रैल 2021




कोराना मतलब फीकी चाय में डुबोया मीठा बिस्किट
कोरोना ने सारी दुनिया की चलती गाड़ी में ब्रेक लगा दिया है। इस सहमी, ठहरी और व्याकुल सी दुनिया को सूझ ही नहीं पड़ रही है। घर के अंदर रह नहीं सकते, भूखे मर जाएंगे। बाहर निकल नहीं सकते, कोरोना मार जाएगा! इस भूख और रोटी के बीच नौकरी वाले, सब्जी वाले, राशन वाले, दूध वाले, दवा-दारू वाले और न जाने क्या-क्या वाले लोग आते हैं। सब एक दूसरे के बिना अपना पेट भर ही नहीं सकते हैं।
अब तो इस कलमुंहे कोराना को आए एक साल से भी ज्यादा हो गया है, पीछा ही नहीं छोड़ रहा है। अक्सर ऐसा होता है कि चोर आगे और पुलिस पीछे होती है, लेकिन इस मामले में दुनिया आगे-आगे भाग रही है और कोरोना पीछे-पीछे। पिछले महीने हम भागते-भागते थक कर सुस्ताने बैठे ही थे कि 'शेर आया,शेर आया' की तर्ज पर शोर मच गया – भागो-भागो कोराना आ गया।
कहते हैं, जान है तो जहान है। जान रहेगी तो नौकरी भी मिल जाएगी। मास्क और दो गज की दूरी जरूरी है। कोरोना तब तक आपके घर नहीं आएगा, जब तक आप उसे लेने बाहर नहीं जाएंगे। यह अलग बात है कि धूप में अचानक से हो जाने वाली बरसात की तरह अचानक चीन के वुहान से जो कोरोना आया था, उसके बारे में विश्व स्वास्थ संगठन को एक साल की बाद भी पता नहीं चल पा रहा है कि वह आया कैसे था और जाएगा कैसे?
अब तो घर से बाहर निकला हर आदमी शक के घेरे में है। इस नामुराद कोरोना ने विश्व स्वास्थ संगठन, सरकारों, डाक्टरों, वैज्ञानिकों, नेताओं से लेकर आम आदमी तक को फिलासफर बना दिया है। पॉजटिव और निगेटिव में विभाजित इस दुनिया में हर एक के पास कोरोना को लेकर अपना फलसफा है। कुछ हैं जो मुंह को मास्क में लपेटे सैनिटाईजर की फुहार में नहाने के बाद हाथ धोते-धोते कोरोना-कोरोना की माला जप रहे हैं। कुछ कोरोना के अस्तित्व को खारिज करते हुए, अपनी सोच की सुविधा के अनुसार किसी पार्टी, देश या दवा माफिया की साजिश बता रहे हैं। यह भी कह रहे हैं जहां कोरोना है चुनाव घोषित करवा दो कोरोना नेताओं से डर के से भाग जाएगा।
कुछ मास्क को नाक के नीचे रख रहे हैं। यह वे लोग हैं जो हमेशा फिफ्टी-फिफ्टी रहते हैं और हर मामले में अपनी नाक ऊंची रखते हैं। उनका कहना है, कोरोना हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता, हमने तो मुंह पहले से बंद कर रखा है, किसी कोरोना-फोना की क्या मजाल है जो हमारी नाक के नीचे कोई फितरत कर जाए।
कोरोना कितना खतरनाक है यह तो वही बता सकते हैं, जिनके अपनों की जान चली जा रही है। बाकी तो कोरोना का परहेज उसी तरह कर रहे हैं जैसे मधुमेह के रोगी बिना चीनी वाली फीकी चाय में मीठे बिस्कुट डुबा कर खाते हैं।
कुशल कुमार
Kushal Kumar और वह टेक्स्ट जिसमें 'व्यंग्य कोराना मतलब मेंडुबोयामीठाबिस्किट कोरोना दुनिय चलती गाडी और व्याकुल भूख सकते, कोरोना क्या वाले. होती आया कोराना गया| भी आप निगेटिव कोरोना दुनिया सनिटाईजर अस्तित्व भाग मेशा -फिप्टी और उनका कोरोना पहलेसे मजाल खतरनाक वही परहेज सकते मधुमेह मीठे बिस्किट डुबा कर कुशल कुमार हारमोनी, प्लॉट सेक्टर-1 कामोठे, मुबई 410209 9869244269/ 1062' लिखा है की फ़ोटो हो सकती है

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